ये जिंदगी (कविता)




तिनका-तिनका सा,
बिखरा हुआ था,
ये ज़िंदगी,
तेरे आने से ही संवरी
ये जिंदगी,
इस अँधेरी जि़दगी में
तुम आई बन कर चिराग़
तुम से ही रौशन हुई ,
ये जिंदगी,
अब तलक बेमकसद थी
ये जिंदगी,
तुम से ही मक़सद मिली
इस जिंदगी को,
तेरे बगैर
अब तो अधूरी-अधूरी सी लगती हैं
ये जिंदगी,
तुम ही हो इस जिंदगी के हमसफ़र
तेरे साये में कट जाए तमाम ,
ये जिंदगी..!!!

                            -सचिन कुमार

 picture credit : Pinterest




     

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