सुख के टुकड़े (कविता)


सुख के टुकड़े को देखकर,
दुःख की गठरिया मुस्कुराती है,
सपने जो देखे थे इन आंखों से,
आंसुओं के सैलाब में बह जाती है,
किससे करू शिकवे-शिकायत,
यह सौगात तो इस तकदीर में,
खुदा की नेमत बन मेरे संग आई है !

                     -© Sachin Kumar


  Picture credit : self

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