अग्निपथ के पथिक
कर्तव्य पथ पर बढ़ रहे थे,
अग्निपथ के वो पथिक,
किंचित मात्र भय नहीं ,
निर्भिकता थी उनमें भरी,
राष्ट्र के थे प्रहरी वो,
जिनके लिए राष्ट्रहित सर्वोपरि,
उनको पता था,
पग पग है अग्निपथ,
घात में बैठा था शत्रु,
मौत का तांडव मचाने
काफिला वीर सपूतो का ,
जब देखा निकट
उस कायर शत्रु ने किया बारूद से हमला
तब अग्नि के ज्वाला में ,
सब कुछ नष्ट था हो चुका
देखते ही देखते ,
चारों तरफ मौत पसरी
छत बिछत हो गया शरीर ,
मां भारती के बेटों का,
रक्त ही रक्त ,
चारों तरफ बिखरा पड़ा
मौत का यह कृत देख ,
पत्थर को भी पिघला दे
किसी मां का बेटा,
तो किसी बहन का भाई
सुहागिन का सुहाग,
बच्चों का पिता था छीन चुका,
इन वीरों की शहादत ,
बेकार नहीं जानी चाहिए ,
शत्रु का विनाश ही हो,
एक मात्र लक्ष्य संपूर्ण देश का ,
वीर सपूतों की शहादत को ,
शत शत नमन शत शत नमन ...!!!
-© Sachin Kumar
picture credit: Pinterest
Note: मेरी यह कविता पुलवामा (जम्मू-कश्मीर) में शहीद हुए सीआरपीएफ के जवानों को समर्पित है!
#crpf_शहीदों_को_नमन
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