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मई, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

कलिकाल

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कलिकाल अपने चरम पर , हर मन में द्वंद्व उमड़ रहा, तूफान हर दिल में उठा , चहुँ ओर मानवता कहारती, निस्तेज हर शक्ल मनुज का, नैतिकता का नहीं बोध-ज्ञान, चरित्रवान पीड़ित यहाँ , रक्त रंजित समाज हो चुका , मनुष्यता पर घोर बिपदा छा गई , जब जब धर्म का नाश हुआ, धर्म की स्थापना के लिए , तब तब ईश्वर अवतरित हुए, अब तो मनुष्यता मांगती, कोई अवतारी पुरुष यहां, दुष्टों का नाश कर, जो स्थापित कर सके मानवता रूपी धर्म को , तब सुख शांति छा जाएगी, खुशहाल होगा मानव का जीवन, चारों तरफ धर्म का राज हो जाएगी ...!                             ~© सचिन कुमार 🖋  picture credit : Pinterest     

रुधिर का मोल

                रुधिर का मोल उन वीर सपूतो के रुधिर का, मोल तो कोई बतला दे ? सिंचित किया इस धरा को, जिन्होंने अपने रूधिर से, अपना फर्ज निभा गए, वो थे वीर बलिदानी, राष्ट्र प्रेम की अमर कहानी, लिख डाला अपने रुधिर से, कतरा कतरा रुधिर बहा दी , मातृभूमि पर आँच न आने पाए, वो पावन हो गई धरती , जिस पर गिरा रुधिर उन वीरो का, धन दौलत से नहीं तौल सकते, हम वीरो के रुधिर का मोल, उन वीर जवानों के रुधिर का, कण कण है अनमोल रतन  , मां भारती के बेटों के रूधिर का, संपूर्ण राष्ट्र ऋणी है....!!!                         -© Sachin Kumar 🖍 #pulwamaattack #crpf_शहीदों_को_नमन

अग्निपथ के पथिक

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          कर्तव्य पथ पर बढ़ रहे थे, अग्निपथ के वो पथिक, किंचित मात्र भय नहीं , निर्भिकता थी उनमें भरी,  राष्ट्र के थे प्रहरी वो, जिनके लिए राष्ट्रहित सर्वोपरि, उनको पता था, पग पग है अग्निपथ,  घात में बैठा था शत्रु, मौत का तांडव मचाने  काफिला वीर सपूतो का , जब देखा निकट उस कायर शत्रु ने किया बारूद से हमला तब अग्नि के ज्वाला में , सब कुछ नष्ट था हो चुका  देखते ही देखते , चारों तरफ मौत पसरी छत बिछत हो गया शरीर , मां भारती के बेटों का, रक्त ही रक्त , चारों तरफ बिखरा पड़ा मौत का यह कृत देख , पत्थर को भी पिघला दे किसी मां का बेटा, तो किसी बहन का भाई सुहागिन का सुहाग, बच्चों का पिता था छीन चुका, इन वीरों की शहादत , बेकार नहीं जानी चाहिए , शत्रु का विनाश ही  हो, एक मात्र लक्ष्य संपूर्ण देश का , वीर सपूतों की शहादत को , शत शत नमन शत शत नमन ...!!!             -© Sachin Kumar picture credit: Pinterest Note:  मेरी यह कविता पुलवामा (जम्मू-कश्मीर)  में शहीद हुए सीआरपीएफ...

सुख के टुकड़े (कविता)

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सुख के टुकड़े को देखकर, दुःख की गठरिया मुस्कुराती है, सपने जो देखे थे इन आंखों से, आंसुओं के सैलाब में बह जाती है, किससे करू शिकवे-शिकायत, यह सौगात तो इस तकदीर में, खुदा की नेमत बन मेरे संग आई है !                      -© Sachin Kumar   Picture credit : self

सूरज की पहली किरण (कविता)

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सूरज की पहली किरणें  अंधकार को चुनौती देते  जब धरा का स्पर्श करती हैं  तब सभी जीवों में उत्साह भर  जीवन को ऊर्जा से सराबोर कर देती हैं ...!!!                            - Sachin Kumar   picture credit : self