हिमालय (कविता)

बृहत विहंगम वन आच्छादित हिमालय की पर्वत श्रृंखलाएं हरियाली का चादर ओढ़े प्रकृति का अनुपम दृश्य जिसका पैर पखारे झील और झरने नदियों का तुम उद्गम स्थल ऊंचे ऊंचे चोटी शोभित हिमखण्ड से ऋषि मुनियों की यह तपोभूमि देवताओं का है बास यहां पर देवभूमि तुम तभी कहलाते दिव्य अलौकिक कण-कण तेरा धरती का यह स्वर्ग धरा पर सनातन संस्कृति की ध्वजा तुमही हो बारंबार नमन इस पुण्य भूमि को ! ~ © सचिन कुमार #हिमालय #देवभूमी picture credit : self